बादशाह अकबर एक सुबह उठते ही अपनी दाढ़ी खुजलाते हुए बोले, “अरे, कोई है? तुरन्त एक सेवक हाजिर हुआ। उसे देखते ही बादशाह बोले, “जाओ, जल्दी बुलाकर लाओ, फौरन हाजिर करो। सेवक की समझ में कुछ नहीं आया कि किसे बुलाकर लाए, किसे हाजिर करे? बादशाह से पलटकर सवाल करने की तो उसकी हिम्मत ही नहीं थी।
उस सेवक ने यह बात दूसरे सेवक को बताई। दूसरे तीसरे को और तीसरे ने चौथे को। इस तरह सभी सेवक यह बात जान गए और सभी उलझन में पड़ गए कि किसे बुलाकर लाएँ, किसे हाजिर करें। बीरबल सुबह घूमने निकले थे। उन्होंने बादशाह के निजी सेवकों को भाग-दौड़ करते देखा तो समझ गए कि जरूर बादशाह ने कोई अनोखा काम बता दिया होगा, जो इनकी समझ से बाहर है।
उन्होंने एक सेवक को बुलाकर पूछा, “क्या बात है? यह भाग-दौड़ किसलिए हो रही है? “सेवक ने बीरबल को सारी बात बताई, ‘बीरबलजी! हमारी रक्षा करें। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किसे बुलाना है। अगर जल्दी बुलाकर नहीं ले गए, जाएगी।” तो हम पर आफत आ बीरबल ने पूछा, “यह बताओ कि हुक्म देते समय बादशाह क्या कर रहे थे?
बादशाह का निजी सेवक, जिसे हुक्म मिला था, उसे बीरबल के सामने हाजिर किया तो उसने बताया, “जिस समय मुझे तलब किया, उस समय तो बिस्तर पर बैठे अपनी दाढ़ी खुजला रहे थे। बीरबल तुरन्त सारी बात समझ गए और उनके होंठों पर मुस्कान उभर आई। फिर उन्होंने उस सेवक से कहा, “तुम हज्जाम को ले जाओ।
सेवक हज्जाम को बुला लाया और उसे बादशाह के सामने हाजिर कर दिया। बादशाह सोचने लगे, “मैंने इसे यह तो बताया ही नहीं था कि किसे बुलाकर लाना है। फिर यह हज्जाम को लेकर कैसे… हाजिर हो गया? ‘बादशाह ने सेवक से पूछा, “सच बताओ। हज्जाम को तुम अपने मन से लाए हो या किसी ने उसे ले आने का सुझाव दिया था?
सेवक घबरा गया, लेकिन बताए बिना भी तो छुटकारा नहीं था। बोला, “बीरबल ने सुझाव दिया था, जहाँपनाह! “बादशाह बीरबल की बुद्धि पर खुश हो गए।