सूर्पनखा का जीवन परिचय - शूर्पणखा की कहानी | SURPANAKHA STORY IN HINDI
जो व्यक्ति रामायण के बारे में जानता है वह सूर्पनखा के बारे में भी जानता होगा। लेकिन क्या आप सूर्पनखा के माता-पिता के बारे में जानते हैं? क्या आप जानते हैं सूर्पनखा के पति का क्या नाम था। क्या आप जानते हैं सूर्पनखा का अर्थ क्या है? तो आइये “सूर्पनखा का जीवन परिचय” में जानते हैं इन्हीं प्रश्नों के उत्तर :-
सूर्पनखा का जीवन परिचय
सूर्पनखा कौन थी
रावण की बहन सूर्पनखा विश्रवा मुनि और उनकी दूसरी पत्नी कैकसी की पुत्री थी। वह रावण और कुम्भकर्ण से छोटी थी व विभीषण से बड़ी थी।
शूर्पणखा का अर्थ
सूर्पनखा का अर्थ है सूप जैसे नाखून वाली ( सूप – अनाज फटकने वाला पात्र )। सूप जैसे नाखून होने के कारण ही रावण की बहन का नाम सूर्पनखा रखा गया था।
शूर्पणखा के पति का नाम
शूर्पणखा के पति का नाम विद्युत्जिह्व था। वह कालकेय नामक दैत्य वंश से था। कालकेय दैत्य बहुत बलवान होते थे। वह राक्षसों के पुराने शत्रु थे। फिर भी सूर्पनखा ने बिना किसी को बताये विद्युत्जिह्व से विवाह कर लिया था।
रावण इस विवाह से बहुत क्रोधित हुआ और उसने विद्युत्जिह्व को मारने का निश्चय किया परन्तु मंदोदरी के समझाने पर वह शांत हो गया और दानवों को अपना रिश्तेदार बना लिया।
रावण सारी सृष्टि में सबको अपने अधीन करने निकला था। उसी समय एक बार युद्ध करते-करते रावण दैत्यों के नगर पहुँच गया। वहां दानवों से युद्ध करते हुए रावण के हाथों विद्युत्जिह्व का भी वध हो गया।
सूर्पनखा और विद्युत्जिह्व का एक पुत्र भी था।
पति के वध उपरान्त
जब रावण युद्ध समाप्त कर लंका वापस लौटा तब सूर्पनखा ने रावण को बहुत बुरा-भला कहा। रावण ने सूर्पनखा को बताया कि उसे अपनी इच्छा से उसके पति का वध नहीं किया। वह तो अचानक ही युद्ध में आ गया और न जाने कब उसका वध हो गया।
बहुत मनाने के बाद रावण ने सूर्पनखा को रहने के लिए अपनी मौसी के लड़कों खर और दूषण के साथ दण्डक वन भेज दिया।
शूर्पणखा की नाक का कटना
जब राम, लक्ष्मण और सीता जी वनवास काट रहे थे उसी समय एक दिन सूर्पनखा भगवान राम के पास पहुंची और उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। मर्यादापुरुषोत्तम राम ने सूर्पनखा से कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ रह रहे हैं और वह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सूर्पनखा भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के पास पहुंची।
लक्ष्मण जी के भी मना करने पर सूर्पनखा ने सीता जी को मारने का मन बना लिया। उसने सोचा सीता जी का वध करने पर राम उसे अपना लेंगे। परन्तु उस से पहले ही लक्ष्मण जी ने उसकी नाक और कान काट दिए। जिसके बाद सूर्पनखा वहां से भागकर अपने भाइयों खर और दूषण के पास गयी।
खर और दूषण अपनी बहन के अपमान का बदला लेने राम और लक्ष्मण जी के पास पहुंचे। युद्ध करते हुए दोनों राक्षस मारे गए।
सूर्पनखा का लंका जाना
जब सूर्पनखा को पता चला कि खर और दूषण भगवान राम से युद्ध करते हुये मारे गए हैं तब वह सहायता के लिए रावण के पास लंका पहुंची।
आगे की कहानी लगभग सभी लोग जानते हैं कि किस प्रकार रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण किया। फिर भगवान राम से युद्ध करते हुए मारा गया।
लंका आने के बाद कहीं भी सूर्पनखा के बारे में वाल्मीकि रामायण में उसकी कोई और जानकारी उपलब्ध नहीं है।
( Note:- इस लेख में दिए गए नाम सूर्पनखा और शूर्पणखा में कोई अंतर नहीं है। संस्कृत का शब्द शूर्पणखा ही हिंदी भाषा में सूर्पनखा लिखा जाता है।)